मुँह में राम बगल में छुरी अर्थः ऊपर से मित्र भीतर से शत्रु।
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मुँह में राम बगल में छुरी अर्थः ऊपर से मित्र भीतर से शत्रु।
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लोग क्या चाहते हैं यह मुँह में राम बगल में छुरी की तरह हैं ।
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लोग क् या चाहते हैं यह मुँह में राम बगल में छुरी की तरह हैं ।
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जग के चलन को इंगित करती बेहतरीन कविता...शायद इसीलिये मुँह में राम बगल में छुरी जैसी कहावत इजाद हुई होगी
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सब नेता एक जैसे बन गए है क्योंकि जो पकड़ा जाए वो चोर और जो सारी उम्र चोरी करता रहे और पकड़ा न जाए तो वह मुँह में राम बगल में छुरी का नाटक चलाए रखता है।
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इनमें से कुछ हैं-राम नाम जपना पराया माल अपना मुँह में राम बगल में छुरी राम मिलायी जोड़ी, इक अन्धा इक कोड़ी राम नाम ले हज़म कर गये, गौशाला के चन्दे इत्यादि मुहावरे कम पड़ जायें तो इस अकिंचन को सेवा का अवसर दें।